संघ लोक सेवा आयोग | sangh lok seva aayog (UPSC) –
1 अक्टूबर 1926 (ली आयोग की रिपोर्ट पर)
वर्तमान स्वरुप – 26 जनवरी 1950
यह एक संवैधानिक निकाय (samvedhanik nikay) है |
भारतीय संविधान में इसका उल्लेख अनुच्छेद – 315 – 323 (भाग -14) में किया गया है |
नियुक्ति –
राष्ट्रपति
द्वारा संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति की जाती है|
सदस्य संख्या –
वर्तमान में आयोग में 1 अध्यक्ष
तथा अन्य सदस्य है |
संविधान में अन्य सदस्यों की संख्या निर्धारित नहीं है ,
बल्कि राष्ट्रपति द्वारा आवश्यकता अनुसार सदस्यों की संख्या निर्धारित की जाती है
|
आयोग के आधे सदस्यों को केंद्र
अथवा राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्षो का अनुभव हो |
Fact – 1) स्वतंत्रता के समय आयोग में 1 अध्यक्ष
तथा 4 सदस्य थे |
कार्यकाल व सेवा शर्ते –
अध्यक्ष
तथा सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष / 65 वर्ष (जो भी पहले हो ) निर्धारित की गई है |
त्यागपत्र – अध्यक्ष तथा सदस्य
त्यागपत्र राष्ट्रपति को देते है |
पुनर्नियुक्ति –
संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष
किसी भी नियुक्ति का पात्र नहीं होता है |
जबकि आयोग के सदस्य निम्न 2 पदों
में से किसी एक पर नियुक्ति का पात्र होता है |
1.
वह संघ लोक सेवा आयोग का
अध्यक्ष बन सकता है |
2.
वह किसी राज्य के राज्य लोक
सेवा आयोग का अध्यक्ष बन सकता है |
पदच्युति –
संघ लोक सेवा आयोग तथा सदस्यों को
राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाता है | हटाये जाने के निम्न कारण हो सकते है –
1.
दिवालिया घोषित होने पर |
2.
पदावधि के दौरान अन्य
वैतनिक कार्यो में संलग्न होने पर |
3.
मानसिक या शारीरिक अक्षमता
|
4.
दुर्व्यवहार अथवा कदाचार का
दोषी पाए जाने पर |
Note - उपरोक्त कारणों की जाँच सबसे पहले सर्वोच्च
न्यायलय द्वारा की जाएगी तत्पश्चात न्यायालय की सलाह पर राष्टपति द्वारा पदच्युति
कर दी जाती है |
आयोग के कार्य -
- 1) नियुक्ति हेतु परीक्षा
आयोजन | - 2)
अभ्यर्थियों की नियुक्ति ,
पदोन्नति तथा स्थानांतरण पर सरकार को सलाह | - 3)
दो या दो से अधिक राज्यों
के लिए संयुक्त भर्ती की सहायता प्रदान करना - 4)
प्रतिवर्ष किये गए कार्य का
प्रतिवेदन राष्ट्रपति को सौपना etc. |
महत्वपूर्ण अनुच्छेद सक्षेप
में -
315 – संघ एवं राज्य के लिए
लोक सेवा आयोग |
316 – सदस्यों की नियुक्ति
तथा कार्यकाल |
317 – आयोग के सदस्यों को
पद से हटाना / निलंबित करना |
318 – आयोग के सदस्यों एवं
कर्मचारियों की सेवा – शर्ते सम्बन्धी नियम बनाने की शक्ति |
319 – सदस्यों की पदावधि की
समाप्ति के पश्चात् अन्य पद धारण करने पर प्रतिबन्ध |
320 – लोक सेवा आयोग के
कार्य |
321 – आयोग के कार्यो को
विस्तृत करने की शक्ति |
322 – लोक सेवा आयोग के
खर्च , संचित निधि से |
323 – लोक सेवा आयोग के
प्रतिवेदन
वर्तमान संरचना तथा आयोग
समबन्धित तथ्य –
वर्तमान आयोग – अध्यक्ष – प्रदीप जोशी (२०वे)
प्रथम अध्यक्ष – सर रास वार्कर (1926 – 1932)
लोक सेवा आयोग की प्रथम महिला अध्यक्ष - रोज मिलियम बैथ्यु (1992 – 1996)
लोक सेवा आयोग के स्वत्रन्त्रता से पूर्व अंतिम
ब्रिटिश अध्यक्ष – F.W. Roberston
लोक सेवा आयोग के स्वतंत्र
भारत के पहले भारतीय अध्यक्ष - H.K.
कृपलानी
प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष – जे.एम.
कुरैशी
लोक सेवा आयोग (UPSC) से सम्बंधित
अन्य परीक्षा उपयोगी तथ्य –
1.
1.) सर्वप्रथम लोक सेवा आयोग की
स्थापना ICS के नाम से लन्दन में लार्ड मैकाले की अनुशंषा पर 1854 में हुई थी |
2. 2.) लार्ड कार्नवालिस को भारत
में सिविल सेवा का जन्मदाता कहा जाता है |
3. 3.) भारतीय सिविल सेवा की प्रथम
परीक्षा 1855 में लन्दन में आयोजित हुई थी |
4. 4.) 1886 में वायसराय लार्ड
डफरिन ने एचिसन आयोग की नियुक्ति की | इसका कार्य यह बताना था कि सिविल सेवा में न्यूनतम आयु को बढाया जाये या
नहीं तथा भारत तथा इंग्लैंड में एक साथ
परीक्षा ली जाये या नहीं | इस आयोग ने केवल प्रथम सुझाव पर सहमति दी तथा परीक्षा
में बैठने की आयु सीमा 18 से लेकर 23 वर्ष कर दी गई |
5. 5.) इलिंग्सटन आयोग ने रिपोर्ट
में सुझाव दिया की भारत तथा इंग्लैंड में एक साथ परीक्षा आयोजित की जाये |
6. 6.) इलिंग्सटन आयोग की रिपोर्ट
के आधार पर 1919 के भारत शासन अधिनियम में 2 महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए –
·
भारत तथा इंग्लैंड में एक
साथ परीक्षा आयोजित की जाये |
·
सिविल सेवा में उच्च पदों
पर भारतीयों की संख्या 1/3 कर दी गई |
7. 7.) पहली बार सिविल सेवा की
परीक्षा एक साथ लन्दन और इलाहाबाद में 1922 में की गई |
8. 8.) ली आयोग की सिफारिश पर
केन्द्रीय लोक सेवा आयोग के रूप में 1 अक्टूबर 1926 में स्थापना भारत में की गई |
9. 9.) भारत शासन अधिनियम के आधार
पर 1 अप्रैल 1937 - फेडरेशन लोक सेवा आयोग की स्थापना (प्रांतीय स्तर पर) |
10.) भारत में तीन प्रकार की
अखिल भारतीय सेवाए है |
It
11. 11.) राज्मान्नर समिति 1969 में
IAS तथा IPS को समाप्त करने की सिफारिश की थी |
12. 12.) अनुच्छेद 323 के अनुसार आयोग
अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौपता है | इस रिपोर्ट को राष्ट्रपति प्रयेक सदन पर
रखवाता है | यह रिपोर्ट बाध्यकारी नहीं है , केवल आयोग की सिफारिश को न मानने का
कारण संसद को बताना पड़ता है |
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