राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग/ ST SC Aayog की पूरी जानकारी MPPSC-PRE unit-10
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ST SC Aayog |
नमस्कार दोस्तों , आज mppsc के unit -10 से सम्बंधित ST SC Aayog (आयोग) को Mppsc Material की Team द्वारा लाया गया है | पिछले Syllabus में आयोग की जगह St Sc Act को रखा गया था | इस बार हमें अधिनियम के स्थान पर ST SC Aayog (आयोग) दिया गया है | अतः हम इसका विस्तृत अध्ययन करेंगे क्योंकि यह परीक्षा के दृष्टिकोण सर्वाधिक महत्त्व रखता है | तो चलिए जानते है – ST SC Aayog (आयोग) क्या है ?
[Free] Indian polity mcq hindi | भारतीय राज्यव्यवस्था टेस्ट
ST SC Aayog (आयोग) की भूमिका/परिचय –
- अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम भारत शासन अधिनियम 1935 में किया गया था |
- अनुच्छेद -17 – इसमें अस्प्रश्यता (छुआ-छूत) के उन्मूलन का वर्णन किया गया है |
- अनुच्छेद – 341 – इसमें राष्ट्रपति को शक्ति दी गई है कि वह किसी राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके किसी क्षेत्र विशेष के समुदाय को अनुसूचित जाति की सूची में डाल सकता है |
- अनुच्छेद – 342 - इसमें राष्ट्रपति को शक्ति दी गई है कि वह किसी राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके किसी क्षेत्र विशेष के समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में डाल सकता है |
- अनुच्छेद - 338 – इसके द्वारा अनुसूचित जातियो के संरक्षण हेतु संवैधानिक आयोग के गठन का प्रावधान है |
- अनुच्छेद – 338(क) – इसके द्वारा अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण हेतु संवैधानिक आयोग के गठन का प्रावधान है |
- सर्वप्रथम 1978 में सरकार के आदेश के द्वारा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए गैर-वैधानिक आयोग का गठन हुआ |
- 1987 में सरकार ने (अन्य संकल्प के माध्यम से ) विस्तृत नीति मामलों पर सरकार को सलाह देने के लिए आयोग के कार्यों को (इसे राष्ट्रीय स्तर का सलाहकारी निकाय बनाकर) संशोधित किया और अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के विकास को समान कर दिया है;
- 65 वें संविधान संशोधन 1990 – इसके द्वारा आयोग को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया | परन्तु अभी तक यह आयोग अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए संयुक्त रूप से कार्य करता था | इसकी अध्यक्षता श्री रामधन द्वारा की गयी |
- 89 वें संविधान संशोधन 2003 – इसके द्वारा इस संयुक्त आयोग का विभाजन दो भागो में कर दिया गया | अनुसूचित जातियों के लिए अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद-338) तथा अनुसूचित जनजातियो के लिए अनुसूचित जनजाति आयोग (अनुच्छेद-338 क) का गठन किया गया |
- नोडल एजेंसी -
ST आयोग - जनजातीय मामलों का मंत्रालय
श्री भोला पासवान शास्त्री 1978 में संयुक्त ST/SC Aayog के प्रथम अध्यक्ष थे |
श्री रामधन (65 वें संविधान संशोधन 1990) के समय ST/SC Aayog के अध्यक्ष थे |
2004 मे जब आयोग का विभाजन दो अलग आयोग मे हुआ तब उस समय अध्यक्ष - विजय सोनकर शास्त्री थे |
इसे भी पढ़ें-
MP में स्वतंत्रता आंदोलन-(भाग-2) | History of Madhya Pradesh
इस आयोग को हम दो भागों में पढेंगे -
SC Aayog (अनुसूचित जाति आयोग) - National Commission for Scheduled Castes
ST Aayog (अनुसूचित जनजाति आयोग) - National Commission for Scheduled Tribes
Rashtriy Anusuchit Jaati aayog (SC आयोग) –
SC आयोग स्थापना –
- संविधान के भाग-16 के अनुच्छेद -338 के अंतर्गत इस आयोग को स्थापना की गई है अतः यह एक संवैधानिक निकाय है | 65 वें संविधान संशोधन 1990 द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त है |
- SC आयोग 89 वें संविधान संशोधन 2003 के अंतर्गत 19 फ़रवरी 2004 को स्वतंत्र निकाय के रूप में अस्तित्व में आया |
SC आयोग संरचना –
1 अध्यक्ष + 1 उपाध्यक्ष + 3 सदस्य
SC आयोग नियुक्ति / सेवा शर्ते / वेतन भत्ते – (नियमावली - 2004)
- SC आयोग के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है |
- SC आयोग की सेवा शर्तो और वेतन का निर्धारण भी राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है |
- वर्तमान मे SC आयोग के वेतन भत्ते भारत सरकार के सचिव के समान है |
अध्यक्ष किरायामुक्त आवास का भी हकदार होगा ।
SC आयोग पदावधि –
- SC आयोग के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति 3 वर्ष के लिए की जाती है |
- इनमे से ये सभी पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होते है , परन्तु 2 बार से अधिक नियुक्ति के पात्र नहीं है |
SC आयोग - त्यागपत्र व पद से हटाना (SC Aayog नियमावली - 2004)
(i)दिवालिया घोषित किया जाता है |
(ii)अपनी पदावधि में अपने पद के कर्त्तव्यों के बाहर किसी सवेतन नियोजन में लगता है; या
(iii)राष्ट्रपति की राय में मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है|
तो राष्ट्रपति अध्यक्ष को आदेश द्वारा पद से हटा सकेगा :परन्तु अध्यक्ष को इस खंड के अधीन पद से तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक कि उसे मामले में सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर न दिया गया हो |
राष्ट्रपति, किसी व्यक्ति को उपाध्यक्ष या सदस्य के पद से तभी हटाएगा जब वह व्यक्ति,-
(क) अनुमोचित दिवालिया है;
(ख) किसी अपराध के लिए जिसमें राष्ट्रपति की राय में, नैतिक सिद्धदोष ठहराया जाता है और कारावास हेतु दंडित किया जाता है;
(ग) राष्ट्रपति की राय में, मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है;
(घ) कार्य करने से इंकार करता है या कार्य करने में असमर्थ है;
(ङ) आयोग से अनुपस्थिति की इजाजत लिए बिना आयोग की तीन क्रमवर्ती बैठकों से अनुपस्थित रहता हैः या
(च) राष्ट्रपति की राय में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य की हैसियत का इस प्रकार दुरूपयोग करता है कि उस व्यक्ति का पद पर बने रहना अनुसूचित जनजातियों के हितों के लिए हानिकारक होगाः
परन्तु किसी व्यक्ति को तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक उस व्यक्ति को उस मामले में सुनवाई का उचित अवसर नहीं दे दिया जाता है।
स्थायी या अस्थायी रिक्ति -
(1)यदि अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, या यदि अध्यक्ष किसी कारण से अनुपस्थित है या अपने पद के कर्त्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तो उन कर्त्तव्यों का निर्वहन, उपाध्यक्ष द्वारा तब तक किया जाएगा जब तक यथास्थिति, नया अध्यक्ष अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है या विद्यमान अध्यक्ष अपने पद को फिर से नहीं संभाल लेता है।
(2) यदि उपाध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, या यदि उपाध्यक्ष किसी कारण से अनुपस्थित है या अपने पद के कर्त्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तो उन कर्त्तव्यों का निर्वहन, ऐसे अन्य सदस्य द्वारा, जैसा राष्ट्रपति निदेश दें, तब तक किया जाएगा जब तक, नया उपाध्यक्ष अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है या विद्यमान उपाध्यक्ष अपने पद को फिर से नहीं संभाल लेता है।
SC आयोग योग्यताएं –
- अध्यक्ष - अनुसूचित जाति (SC) का सदस्य होना चाहिए , जो प्रसिद्ध सामाजिक और राजनितिक कार्यकर्त्ता हो |
- उपाध्यक्ष तथा सदस्य – इनमे से कम से कम 2 सदस्य अनुसूचित जाति से सम्बंधित होना चाहिए |
- कम से कम एक अन्य सदस्य , महिलाओं में से नियुक्त किये जायेंगे | अतः 3 सदस्यों में कम से कम 1 महिला आवश्यक है |
SC आयोग का मुख्यालय –
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का मुखालय दिल्ली में है | इसके अन्य 12 क्षेत्रीय कार्यालय निम्न है –
- अहमदाबाद
- लखनऊ
- पटना
- पुणे
- अगरतला
- हैदराबाद
- कोलकाता
- बेंगलुरु
- चंडीगढ़
- चेन्नई
- गुवाहाटी
- तिरुअनंतपुरम
SC आयोग सदस्यों को प्राप्त पद –
- अध्यक्ष – कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है |
- उपाध्यक्ष – केन्द्रीय राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है |
- सदस्य - भारत सरकार के सचिव का दर्जा प्राप्त है |
SC आयोग को शक्तियां –
SC आयोग की शक्तियां सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त है |
आयोग के कार्य –
- अनुसूचित जातियो के संरक्षण से सम्बंधित विषयों की जाँच तथा निगरानी करना |
- अनुसूचित जातियो के अधिकारों के हनन से सम्बंधित किसी विशेष शिकायतों को जाँच करना |
- जातियो के कल्याण के सम्बन्ध में परामर्श सरकार और राष्ट्रपति को देना |
- नई जातियो को अनुच्छेद 341 के अंतर्गत शामिल करने के लिए राष्ट्रपति को सलाह देना |
- अनुसूचित जातियो के विकास के लिए कार्यरत रहना , इस आयोग का मुख्य कार्य है |
SC आयोग की रिपोर्ट –
- SC आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति तथा किसी राज्य से सम्बंधित होने पर राज्यपाल को भेजी जाती है |
- राष्ट्रपति / राज्यपाल द्वारा रिपोर्ट को संसद / विधानमंडल में रखा जाता है |
- रिपोर्ट में दी गई सलाह केवल सलाहकारी प्रक्रति की होती है | अतः इन्हें मानने के लिए संसद/विधानमंडल बाध्य नहीं है |
- केवल सलाह न मानने का कारण संसद/विधानमंडल के द्वारा बताना होता है |
SC आयोग वर्तमान तथा पूर्व –
- SC आयोग के वर्तमान अध्यक्ष – विजय संपाला (6वें) |
- SC आयोग के प्रथम अध्यक्ष – सूरज भान |
नोट – P.L. पुनिया SC आयोग के 2 बार अध्यक्ष रह चुके हैं |
- SC आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष – फ़क़ीर भाई वाघेला |
- SC आयोग के वर्तमान उपाध्यक्ष – अरुण हलदार |
राष्ट्रीय
अनुसूचित जाति आयोग के संवैधानिक उपबंध |
|
अनुच्छेद
338 |
·
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग |
अनुच्छेद
338 (1) |
·
आयोग का गठन |
अनुच्छेद
338 (2)
|
·
आयोग में 1 अध्यक्ष, 1 उपाध्यक्ष व 3 अन्य सदस्य होंगे। ·
आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों की सेवा शर्तों
का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा। |
अनुच्छेद
338 (3) जाएगी।
|
·
आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति
राष्ट्रपति द्वारा की |
अनुच्छेद
338 (4) |
·
आयोग को अपनी प्रक्रिया स्वयं आदेशित करने की
शक्ति प्राप्त है। |
अनुच्छेद
338 (5) |
·
आयोग के कर्तव्य और कार्य । |
अनुच्छेद
338 (5) घ |
·
आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति के समक्ष
प्रस्तुत करता है। |
अनुच्छेद
338 (6) |
·
राष्ट्रपति आयोग की रिपोर्ट को संसद के पटल
पर रखवाएगा। |
अनुच्छेद
338 (7) |
·
राष्ट्रपति आयोग की रिपोर्ट को संबंधित राज्य
के राज्यपाल को भेजेगा। |
अनुच्छेद
338 (8) |
·
आयोग को सिविल न्यायालय के समान शक्तियाँ
प्राप्त है। |
अनुच्छेद
338 (9) |
·
केंद्र एवं राज्य सरकार, अनुसूचित जनजातियों के संबंध में कोई
भी विधि या नियम बनाते समय आयोग से सलाह लेंगे। |
अनुच्छेद
338 (10) |
· आयोग, एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए भी उसी प्रकार कार्य करेगा, जिस प्रकार यह अनुसूचित जातियों के लिए करता है। |
Rashtriy Anusuchit Janjaati aayog (ST आयोग) –
ST आयोग की स्थापना –
- संविधान के भाग-16 के अनुच्छेद -338 (क) के अंतर्गत इस आयोग को स्थापना की गई है अतः यह एक संवैधानिक निकाय है | 65 वें संविधान संशोधन 1990 द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त है |
- 89 वें संविधान संशोधन 2003 के अंतर्गत 19 फ़रवरी 2004 को स्वतंत्र निकाय के रूप में अस्तित्व में आया |
ST आयोग की संरचना –
1 अध्यक्ष + 1 उपाध्यक्ष + 3 सदस्य
ST आयोग नियुक्ति / सेवा शर्ते / वेतन भत्ते – (नियमावली - 2004)
- ST आयोग के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है |
- ST आयोग की सेवा शर्तो और वेतन का निर्धारण भी राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है |
- वर्तमान मे ST आयोग के वेतन भत्ते भारत सरकार के सचिव के समान है |
परन्तु अध्यक्ष किरायामुक्त आवास का भी हकदार होगा ।
ST आयोग पदावधि –
- ST आयोग के अध्यक्ष , उपाध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति 3 वर्ष के लिए की जाती है |
- इनमे से ये सभी पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होते है , परन्तु 2 बार से अधिक नियुक्ति के पात्र नहीं है |
ST आयोग - त्यागपत्र व पद से हटाना (ST Aayog नियमावली - 2004)
(i)दिवालिया घोषित किया जाता है |
(ii)अपनी पदावधि में अपने पद के कर्त्तव्यों के बाहर किसी सवेतन नियोजन में लगता है; या
(iii)राष्ट्रपति की राय में मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है|
तो राष्ट्रपति अध्यक्ष को आदेश द्वारा पद से हटा सकेगा :परन्तु अध्यक्ष को इस खंड के अधीन पद से तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक कि उसे मामले में सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर न दिया गया हो |
राष्ट्रपति, किसी व्यक्ति को उपाध्यक्ष या सदस्य के पद से तभी हटाएगा जब वह व्यक्ति,-
(क) अनुमोचित दिवालिया है;
(ख) किसी अपराध के लिए जिसमें राष्ट्रपति की राय में, नैतिक सिद्धदोष ठहराया जाता है और कारावास हेतु दंडित किया जाता है;
(ग) राष्ट्रपति की राय में, मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है;
(घ) कार्य करने से इंकार करता है या कार्य करने में असमर्थ है;
(ङ) आयोग से अनुपस्थिति की इजाजत लिए बिना आयोग की तीन क्रमवर्ती बैठकों से अनुपस्थित रहता हैः या
(च) राष्ट्रपति की राय में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य की हैसियत का इस प्रकार दुरूपयोग करता है कि उस व्यक्ति का पद पर बने रहना अनुसूचित जनजातियों के हितों के लिए हानिकारक होगाः
परन्तु किसी व्यक्ति को तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक उस व्यक्ति को उस मामले में सुनवाई का उचित अवसर नहीं दे दिया जाता है।
स्थायी या अस्थायी रिक्ति -
(1)यदि अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, या यदि अध्यक्ष किसी कारण से अनुपस्थित है या अपने पद के कर्त्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तो उन कर्त्तव्यों का निर्वहन, उपाध्यक्ष द्वारा तब तक किया जाएगा जब तक यथास्थिति, नया अध्यक्ष अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है या विद्यमान अध्यक्ष अपने पद को फिर से नहीं संभाल लेता है।
(2) यदि उपाध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है, या यदि उपाध्यक्ष किसी कारण से अनुपस्थित है या अपने पद के कर्त्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है तो उन कर्त्तव्यों का निर्वहन, ऐसे अन्य सदस्य द्वारा, जैसा राष्ट्रपति निदेश दें, तब तक किया जाएगा जब तक, नया उपाध्यक्ष अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है या विद्यमान उपाध्यक्ष अपने पद को फिर से नहीं संभाल लेता है।
ST आयोग योग्यताएं –
- अध्यक्ष - अनुसूचित जनजाति (ST) का सदस्य होना चाहिए , जो प्रसिद्ध सामाजिक और राजनितिक कार्यकर्त्ता हो |
- उपाध्यक्ष तथा सदस्य – इनमे से कम से कम 2 सदस्य अनुसूचित जनजाति से सम्बंधित होना चाहिए |
- कम से कम एक अन्य सदस्य , महिलाओं में से नियुक्त किये जायेंगे | अतः 3 सदस्यों में कम से कम 1 महिला आवश्यक है |
ST आयोग का मुख्यालय –
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का मुख्यालय दिल्ली में है | इसके अन्य 6 क्षेत्रीय कार्यालय निम्न है –
- भोपाल
- भुवनेश्वर
- रायपुर
- रांची
- जयपुर
- शिलांग
भोपाल क्षेत्रीय कार्यालय का क्षेत्राधिकार - मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, गोवा, दादर एवं नगर हवेली और लक्षद्वीप |
ST आयोग सदस्यों को प्राप्त पद –
- अध्यक्ष – कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है |
- उपाध्यक्ष – केन्द्रीय राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है |
- सदस्य - भारत सरकार के सचिव का दर्जा प्राप्त है |
ST आयोग को शक्तियां –
ST आयोग की शक्तियां सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त है | अर्थात सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत यह आयोग –
- समन जारी कर सकता है |
- किसी दस्तावेज की मांग कर सकता है |
- शपथ पत्रों पर साक्ष्य प्राप्त कर सकता है |
- अदालत या किसी कार्यालय से सार्वजानिक अभिलेखों की मांग कर सकता है |
- चूँकि यह आयोग सिविल आयोग की तरह कार्य करता है अतः इसे दंड देने का अधिकार नहीं है |
ST आयोग के कार्य –
- अनुसूचित जनजातियो के संरक्षण से सम्बंधित विषयों की जाँच तथा निगरानी करना |
- अनुसूचित जनजातियो के अधिकारों के हनन से सम्बंधित किसी विशेष शिकायतों को जाँच करना |
- जनजातियो के कल्याण के सम्बन्ध में परामर्श सरकार और राष्ट्रपति को देना |
- नई जनजातियो को अनुच्छेद 342 के अंतर्गत शामिल करने के लिए राष्ट्रपति को सलाह देना |
- अनुसूचित जनजातियो के विकास के लिए कार्यरत रहना , इस आयोग का मुख्य कार्य है |
ST आयोग की रिपोर्ट –
- ST आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति तथा किसी राज्य से सम्बंधित होने पर राज्यपाल को भेजी जाती है |
- राष्ट्रपति / राज्यपाल द्वारा रिपोर्ट को संसद / विधानमंडल में रखा जाता है |
- रिपोर्ट में दी गई सलाह केवल सलाहकारी प्रक्रति की होती है | अतः इन्हें मानने के लिए संसद/विधानमंडल बाध्य नहीं है |
- केवल सलाह न मानने का कारण संसद/विधानमंडल के द्वारा बताना होता है |
ST आयोग वर्तमान तथा पूर्व –
- ST आयोग के वर्तमान अध्यक्ष – हर्ष चौहान (6वें) |
- ST आयोग के वर्तमान उपाध्यक्ष - रिक्त
- ST आयोग के प्रथम अध्यक्ष – कुंवर सिंह टेकाम |
- ST आयोग की प्रथम महिला अध्यक्ष – उर्मिला सिंह |
- नोट – रामेश्वर औराग ST आयोग के 2 बार अध्यक्ष रह चुके हैं |
- ST आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष – श्री तापिर गाओ |
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति
आयोग के संवैधानिक उपबंध |
|
अनुच्छेद 338 क |
· राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग |
अनुच्छेद 338 क (1) |
· आयोग का गठन |
अनुच्छेद 338 क (2) |
· आयोग में 1 अध्यक्ष, 1 उपाध्यक्ष व 3 अन्य सदस्य होंगे। · आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों की सेवा
शर्तों का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा। |
अनुच्छेद 338 क (3) जाएगी। |
· आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों की
नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की |
अनुच्छेद 338 क (4) |
· आयोग को अपनी प्रक्रिया स्वयं
आदेशित करने की शक्ति प्राप्त है। |
अनुच्छेद 338 क (5) |
· आयोग के कर्तव्य और कार्य । |
अनुच्छेद 338 क (5) घ |
· आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति के
समक्ष प्रस्तुत करता है। |
अनुच्छेद 338 क (6) |
· राष्ट्रपति आयोग की रिपोर्ट को
संसद के पटल पर रखवाएगा। |
अनुच्छेद 338 क (7) |
· राष्ट्रपति आयोग की रिपोर्ट को
संबंधित राज्य के राज्यपाल को भेजेगा। |
अनुच्छेद 338 क (8) |
· आयोग को सिविल न्यायालय के समान
शक्तियाँ प्राप्त है। |
अनुच्छेद 338 क (9) |
· केंद्र एवं राज्य सरकार, अनुसूचित जनजातियों के संबंध में
कोई भी विधि या नियम बनाते समय आयोग से सलाह लेंगे। |
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