Chandrayaan-1,2,3 information in hindi (2023)-चंद्रयान मिशन

Aman Arun
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 नमस्कार पाठकों! हाल ही मे ISRO (Indian Space Research Organisation) द्वारा Mission CHANDRAYAAN-3को launch किया गया है। भारत ने इस Chandrayaan Mission के माध्यम से चंद्रमा की गहराइयों और रहस्यों को जानने का प्रयास किया | चलिएइस Chandrayaan 3 in hindi  की यात्रा में साथ चलते हैं और जानते हैं इस महत्वपूर्ण प्रयास के बारे में | आज हम इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से  “Chandrayaan 3 In Hindiऔर चंद्रयान मिशन के तीनों भाग Chandryaan 1, Chandrayaan 2, Chandrayaan 3 की पूरी जानकारी को hindi मे जानेंगे|



Chandrayaan-1,2,3 in hindi ,भारत के चंद्रयान मिशन
Chandrayaan-1,2,3 in hindi


 

 

Mission Chandrayaan in hindi


           भारत मे अंतरिक्ष अन्वेषण की शुरुआत ISRO की स्थापना के बाद से प्रारंभ होती हैं | भारत एक विकासशील देश है , परंतु अन्य विकासशील देशों की अपेक्षा भारत ने अपने सम्पूर्ण विकास के लिए सभी क्षेत्रों मे अन्वेषण को निरंतर गति प्रदान की हैं |

      अपनी अंतरिक्ष अन्वेषण की यात्रा के सफर में ISRO द्वारा चंद्रमा तक के सफ़र हेतु 3 महत्वपूर्ण Mission launch किये गए जो निम्नानुसार है - 

                            

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       अब हम क्रमशः तीनो मिशन का अध्ययन करेंगे ताकि UPSC/MPPSC – Pre अथवा Mains या अन्य किसी भी परीक्षा में कही से भी प्रश्न आये तो आपको बन जाएँ | हम इनका अध्ययन points में करेंगे -



Mission Chandrayaan-1 (चंद्रयान-1)


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क्या है ?

               Chandrayaan 1 एक महत्वपूर्ण भारतीय अंतरिक्ष मिशन था जिसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की क्षमता का प्रदर्शन पूरे विश्व के सामने किया था। यह मिशन भारत का पहला चंद्रमा मिशन था |


launch Date22 अक्टूबर 2008



प्रक्षेपण केंद्र – Chandrayaan 1 को SDSC (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र) ,शार-श्री हरिकोटा से लांच किया गया था |



प्रक्षेपण यान – Chandrayaan 1 को PSLV-C11 (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) से भेजा गया था|

            (प्रक्षेपण यान वे वाहन होते है, जिनकी सहायता से उपग्रह को अंतरिक्ष मे भेज जाता है|)



उपग्रह का वजन 1380 किलोग्राम , जबकि इसकी शक्ति 700 वाट थी|



उपकरण - चंद्रमा के रासायनिकखनिज और फोटो-भौगोलिक मानचित्रण करने हेतु चंद्रयान भारत और अन्य देशों में विकसित कुल 11 वैज्ञानिक उपकरणों को ले गया।



मिशन समाप्ति – Chandrayaan 1 ने चंद्रमा की कुल 3400 से ज्यादा परिक्रमा की और अंत मे 29 अगस्त 2009 को इस उपग्रह का संचार खो गया जिससे इस मिशन को समाप्त कर दिया गया|

 


Chandrayaan 1 के उद्देश्य


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        मिशन का प्राथमिक विज्ञान उद्देश्य पृथ्वी के निकट और दूर दोनों तरफ का त्रि-आयामी एटलस तैयार करना था। Chandrayaan 1 के उद्देश्य निम्नलिखित थे:

 

  •  चंद्रमा की मैपिंग : मून की सतह को मैप करना था। इसके लिए उसमें High Resolution cameras और sensors लगे थे जो चंद्रमा के विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं को मैप करने में मददगार थे।

  • प्राकृतिक संसाधन : चंद्रमा पर बर्फ और पानी की खोज करनी थी।

  • खनिज और चट्टानों का अध्ययन : चंद्रमा पर विभिन्न पदार्थों के उत्पादन और उनके विकास को समझने के लिए Chandrayaan 1 में विदेशी और स्वदेशी उपकरण लगे थे जो पदार्थिक गुणवत्ता (Mineralogy) का अध्ययन कर सकते थे।

  • हीलियम-3 की खोज : एक महत्वपूर्ण उद्देश्य था हीलियम-3 की खोज करना। हीलियम-3 एक दुर्लभ गैस है जो संभावित ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा जाता है। यह गैस चंद्रमा पर प्रचुर मात्रा में पाई जाती है और उसका उपयोग भविष्य में नई तरीकों से ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है।

  • Lunar Exosphere की खोज : Chandrayaan 1 ने चंद्रमा के आसपास की वायुमंडल (एक्जोस्फीयर) का अध्ययन किया और उसमें मौजूद तत्वों का आनुमानिक मानचित्र बनाया।

  • तकनीकी प्रदर्शन : Chandrayaan 1 ने भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषकों को महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान किया। इस मिशन ने विभिन्न तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ने में मददगार साबित हुए।

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : Chandrayaan 1 ने विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ भी सहयोग किया। इसमें एक यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) का उपकरण भी शामिल था।

  • शिक्षा संवाद : इस मिशन का एक उद्देश्य था छात्रों और सामान्य जनता को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उत्साह बढ़ाना और उन्हें इस क्षेत्र में रूचिकर और ज्ञानवर्धक प्रवृत्ति स्थापित करना। 


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Chandrayaan 1 की उपलब्धियां


  • जल की स्थिति का प्रमाण  Chandrayaan 1 के उपकरणों ने उत्तरी धरातल पर जल की उपस्थिति का प्रमाण दिया। मिनीएसएआर उपकरण द्वारा प्राप्त डेटा ने इस बात को सिद्ध किया कि उत्तरी धरातल पर जल के भंडार मौजूद हैं।

  • हीलियम-अनुसंधान  Chandrayaan 1 के द्वारा प्राप्त डेटा ने दिखाया कि चंद्रमा पर ठंडे हीलियम की बड़ी मात्रा मौजूद है। ठंडे हीलियमअंतरिक्ष यातायात और ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोगी हो सकता है । यह अनुसंधान भविष्य में ऊर्जा की संभावनाओं को दिखाता है।

  • तकनीकी और इंजीनियरिंग कौशल : इस मिशन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को अंतरिक्ष यातायातसंचालन और तकनीकी उत्कृष्टता के क्षेत्र में अपनी क्षमता का साक्षात्कार कराया।

  • उत्तरी धरातल के भौतिकी और भौगोलिक विवरण : मिशन ने उत्तरी धरातल के भौतिकी और भौगोलिक विवरण की भी जांच कीजिससे हमें चंद्रमा की सतह की संरचना और उसके भौतिक प्रकृति की समझ में मदद मिली।

  • तापी प्रौद्योगिकी की पुष्टि : Chandrayaan 1 ने चंद्रमा के तापी प्रौद्योगिकी की पुष्टि कीजो ऊर्जा संग्रहण के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। Chandrayaan 1 ने पृथ्वी के तरंगों का अध्ययन भी किया | 

                Chandrayaan 
1 ने अपने उपकरणों और प्रशिक्षण के सहायता से उद्देश्य हासिल किए और हमारे अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत को मुख्य स्थान प्रदान किया। इसके सफल प्रारंभ कार्य के बादइसरो ने 2019 में Chandrayaan 2 मिशन को प्रारंभ किया था जिसमें एक रोवर को मून पर उतारने का प्रयास किया गया था|

 

Mission Chandrayaan(चंद्रयान-2)-



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क्या है ?


            Chandrayaan 2 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन थाजिसमें 2019 में चंद्रमा की ओर नए प्रयास किए गए थे। इस मिशन में Chandrayaan 2 उपग्रह और उसका उपयोगी भागविक्रम लैंडरकी मदद से चंद्रमा की दक्षिण पोल पर अनुसंधान किया गया था। हालांकि विक्रम लैंडर का सफलतापूर्वक लैंडिंग नहीं हो सकालेकिन यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के उच्च स्तर की प्रगति का प्रतीक बना।


launch Date22 जुलाई 2019  



प्रक्षेपण केंद्र – Chandrayaan 2  को SDSC (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र) ,शार-श्री हरिकोटा से लांच किया गया था |



प्रक्षेपण यान – Chandrayaan 2 को GSLV-Mk III (भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान) से भेजा गया था |

            (प्रक्षेपण यान वे वाहन होते है, जिनकी सहायता से उपग्रह को अंतरिक्ष मे भेज जाता है|)



उपग्रह का वजन – 3840 किलोग्राम , जबकि इसकी शक्ति 730 वाट थी |



उपकरण – स्वदेशी तकनीक से निर्मित Chandrayaan 2 मे 13 पेलोड थे | Chandrayaan 2 के तीन भाग है



  • ऑर्बिटर यह चंद्रमा के उपर ऑर्बिट मे चक्कर लगाएगा और चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा |

  • लैंडर (विक्रम) इसका नाम ISRO के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाईके नाम पर रखा गया था | यह चंद्रमा की सतह पर land करने के लिए बनाया गया था |

  • रोवर (प्रज्ञान) इसका नाम का अर्थ – ‘बुद्धिमत्ताहै  | यह एआई से संचालित 6-पहिया वाहन था; जो चंद्रमा की सतह पर गति करते हुए अध्ययन करता |



वर्तमान स्थिति – Chandrayaan 2 का केवल ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों और 100*100 km की कक्षा मे चक्कर लगा रहा है |

 



Chandrayaan 2 के उद्देश्य


  • चंद्रमा की दक्षिण पोल पर उत्तराधिकारी क्षेत्र में अनुसंधान: Chandrayaan 2 में विक्रम लैंडर की सहायता से चंद्रमा की दक्षिण पोल पर उत्तराधिकारी क्षेत्र में अनुसंधान किया जाना था। यहां से मिलने वाले डेटा से चंद्रमा के भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन और उनके प्राकृतिक कारणों की खोज की गई।

  • उपग्रह तकनीक का परीक्षण: Chandrayaan 2 में नवाचारी तकनीकों का परीक्षण किया गयाजैसे कि विक्रम लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग तकनीक और उपग्रह के संचार प्रणाली।

  • चंद्रमा की सतह की अन्वेषण: इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की सतह की गहराईयों की अन्वेषण करना था। विभिन्न उपकरणों के माध्यम से उसकी संरचनाभौतिकी गुणधर्मरेडियो उपयोगितातापमान आदि का अध्ययन किया गया।

  • चंद्रमा की सतह पर जलहाइड्रॉक्सिल के निशान ढूंढने के अलावा चंद्रमा के सतह की 3-D तस्वीरें लेना|

 



Chandrayaan-2 सफल हुआ या असफल ?


             20 अगस्त 2019 को  Chandrayaan 2 को चंद्रमा की कक्षा मे सफलतापूर्व स्थापित कर दिया गया थाविक्रम लैंडर का उतरना योजना के अनुसार था परंतु  चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर से ग्राउंड स्टेशनों तक संचार टूट गया। | अतः Chandrayaan 2 की सफलता अथवा असफलता घोषित करने से पूर्व निम्न पहलुओ को समझना होगा



Chandrayaan 2 को सफल मानने के कारण-



1. लैंडर विक्रम का उतरने का प्रयास : Chandrayaan 2 का मुख्य हिस्सा "विक्रम" लैंडर थाजिसका उद्देश्य चंद्रमा की उत्तरी ध्रुव पर उतरने का प्रयास करना था। हालांकि उतरने में सफलता नहीं मिलीलेकिन यह प्रयास भारत के अद्वितीय कौशल और आत्मसमर्पण की प्रशंसा करता है।

 


2. सफल ऑर्बिटर प्रक्षेपण : Chandrayaan 2 का "ऑर्बिटर" सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रक्षिप्त किया गया थाजिससे उसकी सतह का अध्ययन किया जा सका। यह ऑर्बिटर चंद्रमा के वायुमंडलिक प्रभावों और विशेषताओं का अध्ययन करने में मदद करता है।


 

3. वायुमंडलिकीय अध्ययन : Chandrayaan 2 ने चंद्रमा की वायुमंडलिकीय प्रभावों का अध्ययन कियाजिससे वैज्ञानिकों को उसके वायुमंडलिक प्रभावों की समझ में मदद मिली।


 

4. हालियाँ अनुसंधान : चंद्रयान द्वारा चंद्रमा के बाह्य वातावरण में ऑर्गन-40 गैस की खोज हुई है | चंद्रमा एक्सोस्फीयर में ऑर्गन-40 गैस फैली हुई है, इस खोज से चंद्रमा की सतह के बारे में अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है|.



 

Chandrayaan 2 को असफल मानने के कारण

 


1. डेटा खो जाना : विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह की ओर अपनी यात्रा शुरू की थीलेकिन कुछ समय बाद उसका संवाद टूट गया और उसके साथ कनेक्शन खो गया। इसके कारण लैंडर की नियंत्रण और नेविगेशन की समस्या हो गई और वह सही ढंग से उतरने में असमर्थ रहा।


 

2. कॉम्म्युनिकेशन की हानि : विक्रम लैंडर की समस्या का मुख्य कारण डेटा संवाद की हानि थी। जब विक्रम का संवाद टूटातो उसे अपने स्वयं के द्वारा नियंत्रित होने की क्षमता समाप्त हो गईजिसके परिणामस्वरूप वह सही ढंग से उतर नहीं सका।


 

3. ऑटोमेटेड लैंडिंग सिस्टम की समस्या : विक्रम लैंडर के पास एक ऑटोमेटेड लैंडिंग सिस्टम था जो उसके उतरने के दौरान सहायक होता है। हालांकि इस सिस्टम में कुछ समस्याएं आईजिसके कारण विक्रम ने सही तरीके से उतरने की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया।


 

4. लैंडिंग स्पॉट की समस्या : विक्रम के उतरने की स्थल पर कुछ कठिनाइयाँ भी थींजैसे कि वह स्थल जहां विक्रम को उतरना था ठोस चट्टानों और खाइयों से भरा थाजिससे हार्ड लैन्डिंग हुई |


        इन कारणों के संयोजन से विक्रम लैंडर का चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने में असफलता हो गई और Chandrayaan 2 मिशन के इस हिस्से को सफलता नहीं मिल सकी।

 


        इस प्रकार, Chandrayaan 2 मिशन को एक मिश्रित दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। इसमें ऑर्बिटर के अध्ययनों और अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की महत्वपूर्ण योगदान के साथ-साथविक्रम लैंडर की असफलता भी शामिल है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम रहाजिसने विज्ञान और तकनीकी में नए मार्ग प्रदर्शित किए। Chandrayaan 2 मिशन को "सफल" या "असफल" मानना मुश्किल है क्योंकि इसमें कुछ हिस्से सफलता प्राप्त करने में सफल रहे जबकि कुछ हिस्से में समस्याएँ आईं। इसरो के अनुसार Chandrayaan 2 अपने उद्देश्यों की प्राप्ति मे 98.5% से सफल रहा |

 


Mission Chandrayaan 3 (चंद्रयान-3)



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क्या है ?


            Chandrayaan-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन था | चूंकि 2019 मे भेजे गए Chandrayaan 2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैन्डिंग करने मे असफल हुआ था , अतः 2023 मे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैन्डिंग के लक्ष्य को लेकर Chandrayaan 3 भेजा गया है|


launch Date 14 जुलाई 2023   



प्रक्षेपण केंद्र – Chandrayaan 3 को SDSC (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र) ,शार-श्री हरिकोटा से लांच किया गया है |



प्रक्षेपण यान – Chandrayaan 3 को LVM-3 (GSLV Mk-III) से भेजा गया है |

            (प्रक्षेपण यान वे वाहन होते है, जिनकी सहायता से उपग्रह को अंतरिक्ष मे भेज जाता है|)



उपग्रह का वजन – 3900 किलोग्राम , जबकि इसकी शक्ति 730 वाट है |



उपकरण – स्वदेशी तकनीक से निर्मित Chandrayaan 3 की बनावट इस प्रकार है | Chandrayaan 2 के समान ही Chandrayaan 3 के लैंडर और रोवर के नाम क्रमशः विक्रमऔर प्रज्ञानदिया गया है |



  • प्रोपल्शन मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूललैंडर और रोवर युक्त अंतरिक्ष यान 100 किमी ऊंचाई वाली चंद्रमा की कक्षा मे स्थापित करेगा | लैंडर को अलग करने के पश्चात Chandrayaan 3 का प्रोपल्शन मॉड्यूलसंचार रिले उपग्रह की तरह व्यवहार करेगा। हाल ही में 17  अगस्त 2023 को प्रोपल्शन मॉड्यूल विक्रम लैंडर से अलग हो चुका है|

  • ऑर्बिटर – Chandrayaan 3 मे ऑर्बटर को शामिल नहीं किया गया है |

  • लैंडर (विक्रम) इसमे 4 थ्रस्टर्स लगाए गए है | विक्रम लैंडर लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर (एलडीवी) से लैस होगा |

  • रोवर (प्रज्ञान) – प्रज्ञान रोवर लैंडिंग साइट के आसपास तत्व संरचना का पता लगाने के लिए अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) नामक पेलोड से युक्त है।



वर्तमान स्थिति – Chandrayaan 3 का लैंडर वर्तमान मे प्रपल्शन प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो चुका है | Chandrayaan 3 का विक्रम चंद्रमा की सतह के काफी नजदीक है | ISRO के अनुसार 23 अगस्त 2023 को Chandrayaan-3 अपने निर्धारित स्थान पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर Land करेगा और अपने सफल होने का प्रमाण विश्व को देगा |

 


Chandrayaan 3 के उद्देश्य –

                

  • चूंकि Chandrayaan 2 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैन्डिंग करने मे असफल हुआ था, इसीलिए प्रथम उद्देश्य Chandrayaan 3 के लैंडर और रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव मे सुरक्षित लैंडिंग करना है |

  • लैंडर पर लगाए गए पेलोड द्वारा चंद्रमा पर होने वाली घटनाओ जैसे भूकंप, तापीय गुण, पृथ्वी और चंद्रमा के सटीक दूरी आदि की गणना करना है| 

  • Chandrayaan 3 के प्रणोदन मॉड्यूल में स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ  (SHAPE) जैसी नवीन तकनीक का प्रयोग किया गया है, SHAPE का उद्देश्य परावर्तित प्रकाश का विश्लेषण कर संभावित रहने योग्य छोटे ग्रहों की खोज करना है।

चंद्रयान-3 के पेलोड और उनके कार्य-


        Chandrayaan 3 मे लगे पेलोड के कार्य को आप इस Diagram से समझ सकते है

 

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Chandrayaan-1,2,3 में अन्तर / तुलना


       इस Table की सहायता से आप Chandrayaan-1, Chandrayaan-2 और Chandrayaan-3 मे तुलना/अंतर को आसानी से समझ सकते है यह विभिन्न परीक्षा हेतु भी उपयोगी है -


मापदंड

चंद्रयान-1

चंद्रयान-2

चंद्रयान-3

लॉन्च तिथि

22 अक्टूबर, 2008

22 जुलाई, 2019

14 जुलाई, 2023

लॉन्च वाहन

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी11)

भारी उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-एमके3)

LVM-3 भारी उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-एमके3)

वजन

1380 किलोग्राम

3850 किलोग्राम

3900 किलोग्राम

ऑर्बिटर

   है

   है

  नहीं है |

लैंडर

       -

 विक्रम नाम है

 विक्रम नाम है

रोवर

      -

 प्रज्ञान नाम है

 प्रज्ञान नाम है

उद्देश्य

चंद्रमा की सतह का अध्ययन

 

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास करनाचंद्रमा की सतह की विशेषताओं का अध्ययन करना |

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का प्रयास करनाचंद्रमा की सतह की विशेषताओं का अध्ययन करना |

उपलब्धियां

चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज

 

चंद्रमा की सतह का मानचित्रणवायुमंडलिकीय अध्ययनपृथ्वी-चंद्रमा अंतरिक्ष संबंध का अध्ययन |

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 23 अगस्त को उतरकर भारत विश्व मे पहला देश बनेगा , इसके अतिरिक्त चंद्रमा की सतह पर land करके विश्व का चौथा देश बनेगा (USA, Russsia , China के बाद)

परिणाम

चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोजचंद्रमा की सतह के रासायनिक संघटन का अध्ययनचंद्रमा की सतह कीभूगर्भीय संरचना का अध्ययन

चंद्रमा की सतह का अध्ययनचंद्रमा की सतह की भूगर्भीय संरचना का अध्ययनचंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज

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      इस प्रकार आपने इस post में Chandrayaan-1,2,3 in hindi के बारे मे गहराई से जाना | यदि किसी प्रकार के Doubt अथवा question हो तो आप हमसे कमेन्ट के माध्यम से पूछ सकते है |  




Chandrayaan-3 landing date and time in hindi?

चंद्रयान-3 की लैंडिंग तिथि 23 अगस्त 2023 है, भारतीय मानक समय (IST) में शाम 5:34 बजे। यह चंद्रमा की सतह पर लैंडर मॉड्यूल के उतरने का अनुमानित समय है।

what happened to chandrayaan-1?

Chandrayaan 1 ने चंद्रमा की कुल 3400 से ज्यादा परिक्रमा की और अंत मे 29 अगस्त 2009 को इस उपग्रह का संचार खो गया जिससे इस मिशन को समाप्त कर दिया गया|

what happened to chandrayaan-2?

20 अगस्त 2019 को Chandrayaan 2 को चंद्रमा की कक्षा मे सफलतापूर्व स्थापित कर दिया गया था, विक्रम लैंडर का उतरना योजना के अनुसार था परंतु चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर से ग्राउंड स्टेशनों तक संचार टूट गया।

What is the purpose of Chandrayaan 3?

Yes, the syllabus for is available on the official website of Madhya Pradesh Public Service Commission. Candidates can refer to the syllabus to understand the topics and subtopics that they need to study for the exam.

Is the Chandrayaan-3 mission possible to succeed?

हाँ, चंद्रयान-3 मिशन सफल हो सकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस मिशन के लिए कई वर्षों से तैयारी कर रहा है और चंद्रयान-2 मिशन के अनुभव से सीख रहा है । चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल को मजबूत पैरों और बेहतर लैंडिंग अनुक्रम के साथ अपग्रेड किया गया है। लैंडिंग दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में होगी, जो एक ऐसा क्षेत्र है जिसे व्यापक रूप से नहीं खोजा गया है। यह लैंडिंग को अधिक चुनौतीपूर्ण बनाता है, लेकिन इसका मतलब यह भी है कि मिशन में नई खोज करने की क्षमता है।

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